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Hindi motivational Blog

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  अभिलाषा कुछ करने की मन की अभिलाषा को पर लगने दो,  कुछ अपनी कहो, कुछ और की सुनो।  खुला है हर दरवाज़ा, बस खटखटाना है बाकी,  थोड़ी सी उलझनों से बाहर निकलना है बाकी। एक बात जो मैं अपने नज़रिये से देखती हूँ तो मुझे ऐसा लगता है, हर इंसान के अंदर बहुत सारी अभिलाषा है, लेकिन अपनी मन की उलझनों में दबाए वह पूरी ज़िंदगी पार कर लेता है। और मिलता क्या है अफ़सोस, निराशा।  क्या यह सही है? क्या यह गलत है? हम कई बार यहीं सोचते रह जाते हैं, और इसी सोच में डूब जाते हैं, बिखर जाते हैं। और ज़िंदगी कटती जाती है जिंदगी रुकेगी नहीं यह हर कोई जानता है मगर "खैर, छोड़ो" ऐसे शब्दों का सहारा लेकर हम रह जाते हैं। नुकसान होता जाता है मगर हर नुकसान का हिसाब बहुत महंगा पड़ता है। और हम एक समय के बाद हिसाब लगाना भी छोड़ देते हैं, और होता क्या है, मन की अभिलाषा का अंत होता है। समाज में विभिन्न प्रकार के लोग मिलेंगे, सभी के लिए हम अच्छे साबित हों यह नामुमकिन है। क्योंकि जब हमारा दिमाग हर वक्त एक सा नहीं रहता, तो हमारी बातें, हमारी सोच, हमारा काम, हमारा व्यवहार, कैसे एक सा हर ...

"जरूरी है तो एक बदलाव बस खुद में"

क्या कहना और क्या नहीं कहना  इस जिंदगी के बारे में यह सोच-सोच कर कभी-कभी बहुत मन परेशान होता है।  मन की व्यथा चरम सीमा पर अब,  क्रंदन कर विलाप में डूबा चितवन,  करो कृपा हे जग के पालनहार,  अब ना सहा, ना व्यतीत हो पाएँ यह पल।। हर इंसान कितना परेशान है कोई खुद की सोच से, तो कोई समय परिवर्तन से, कोई समय के कहर से, तो कोई बदलती जिंदगी की रूपरेखा से। मगर यही कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें हर परिवेश, हर बदलाव, हर समस्या को स्वीकार कर आगे बढ़ना आता है, वह कभी रुकते नहीं है। चाहे कहर किसी भी रूप में हो, जूझना उन्हें आता है और कई बार मात खानी पड़ती है, मगर कोई गम नहीं! यही सोच उनकी उन्हें मझधार से किनारे लगाती है। बहुत सुंदर है यह जीवन, बस थोड़ा बदलाव बहुत सारी समस्याओं का हल है और थोड़ी नकारात्मकता से जूझना जरूरी है। क्योंकि जिंदगी हमारे लिए कभी नहीं रुकती, हाँ हम जरूर थक कर रुक जायेंगे और खो जायेंगे अंधेरों में। "जरूरी  है तो एक बदलाव बस खुद में" उम्मीद है मेरा यह ब्लॉग आपको अच्छा लगेगा यह मेरी एक सोच है और मैं इसको आधार मानती हूँ।

Hindi Quotes

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 साँप सीढ़ी के खेल से मैंने ज़िंदगी को जाना मुश्किलों को मात दे, हमें हैं आगे बढ़ते जाना,  मिलता कोई हमराही जो  ऊँचाइयों पर है चढ़ाता,  पर कहाँ देखा जाता सफ़लता आसमां को छूते हर किसी से, बीच राह डंक मार बेरहमी से नीचे वह गिराता,  पर ना डर के, ना चोट खाकर रूकती है ज़िंदगी,  फ़िर नया दांव चल आगे बढ़ती है ज़िंदगी।। करवा चौथ तेरी लंबी उम्र के लिए, व्रत करती हूँ, तुझमें ही समाकर  अपनी उम्र सौंप देती हूँ।

ब्लोग - इंसान की कभी ना खत्म होने वाली "जरूरत"

ब्लोग - इंसान की कभी ना खत्म होने वाली "जरूरत" कभी ना खत्म होने वाला यह शब्द "जरूरत" जिसका कोई अंत नहीं है। और मुझे लगता है मेरी तरह दूसरे लोग भी मेरी इस बात से सहमत होंगे कि इंसान की जरूरत कभी नहीं खत्म होती है।     ऐसा मैं अपने अनुभव से कह रही हूँ। हुआ यूँ कि मैं एक ट्रेन से यात्रा कर रही थी और मेरी सामने वाली सीट पर  दो लोग बैठे थे, एक नौजवान युवक जिसकी उम्र करीब 21 साल की होगी और साथ में उसके पिता जिनका नाम रामशंकर प्रसाद जी था। बातों ही बातों में मैं उनसे पूछी कि चाचा जी आपको क्या लगता है इंसान की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत क्या है तो उन्होंने कहा बेटी मुझे लगता है इंसान की सबसे अहम जरूरत भोजन है जिसके बिना वह नहीं रह सकता। तो मैंने कहा वो तो ठीक है लेकिन बिना पैसे के भोजन कैसे आएगा तो पैसों की जरूरत अधिक महत्वपूर्ण है, उनका बेटा बोला नहीं पैसे के लिए काम की जरूरत है, नौकरी की जरूरत है बिना काम किए पैसे नहीं आ सकते, मैं उस पर भी हाँ कह दी और सोच रही थी सही तो है यहाँ हम तीन बैठे हैं और तीनों ने अपने अनुसार जरूरत को बाँट दिया है।         ...